शब्द का अर्थ
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स्तन :
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पुं० [सं०] स्त्रियों यो मादा पशुओं की छाती में दूध निकलता है। जैसे—गो का सतन। क्रि० प्र०—पिलाना।—पीना। |
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स्तन-कलश :
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पुं० [सं०उपमि०स०] कलश कीतरह गोल और बड़े या मोटे स्तन। |
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स्तन-कील :
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पुं० [सं०] स्त्रियों की छाती में होने वाला थनैला नाम का फोड़ा। |
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स्तन-चूचुक :
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पुं० [सं०] स्तन यो कूच के ऊपर की घुंडी। चूची। ढेंपनी। |
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स्तन-दात्री :
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वि० स्त्री० [सं०] (छाती का) दूध पिलानेवाली। |
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स्तनन :
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पुं० [सं०] [भू० कृ० स्तनित] १. ध्वनि। नाद। शब्द। आवाज। २. बादलों की गड़गड़ाहट। ३. कराहने की आवाज। कराह। |
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स्तनप :
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वि०, पुं० =स्तनपायी। |
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स्तन-पतन :
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पुं० [सं० ष० त०] स्तन का ढीला पड़ना या लटकना। |
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स्तन-पान :
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पुं० [सं०] स्तन पान कराना। स्तन चूसकर दूध पीना। |
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स्तनपायी (यिन्) :
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वि० [सं०] स्तनपान करने वाला। स्तन चूसकर दूध पीनेवाला। पुं० १. वह स्तन पान करता हो। दूध पीने वाला बच्चा। २. वे जो माता का दूध पीते या दूध पीकर बड़े होते है। ३. उक्त प्रकार के जीवों का वर्ग। |
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स्तन-बाल :
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पुं० [सं०] १. एक प्राचीन जनपद। (विष्णु पुराण) २. उक्त देश का निवासी। |
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स्तन-भर :
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पुं० [सं०] १. स्थूल या पुष्ट स्तन। बड़ी और भारी छाती। २. ऐसा पुरुष जिसकी छातियाँ स्त्रियों की छातियों की सी बड़ी या मोटी हो। |
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स्तन-भव :
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पुं० [सं०] एक प्रकार का रति-बंध या संभोग का आसन। |
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स्तन-मध्य :
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पुं० [सं०] स्त्रियों के दोनो स्तनो के बीच का स्थान या गडढा। |
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स्तन-मुख :
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पुं० [सं०] स्तन या कूच का अगला भाग। चूचुक। चूची। |
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स्तन-रोग :
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पुं० [सं०] गर्भवती और प्रसूतियों के स्तनों में होनेवाला रोग। |
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स्तन-विद्रधि :
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पुं० [सं०] स्तन पर होनेवाला फोड़ा। थनैली। |
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स्तन-वृंत :
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पुं० [सं०] स्तन या कूच का अग्र भाग। चूचुक। चूची। |
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स्तन-शिखा :
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स्त्री० [सं०]=स्तनवृंत्त। |
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स्तन-शोष :
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पुं० [सं०] स्त्रियों में होनेवाला एक प्रकार का रोग जिससे उनके स्तन सूख जाते हैं। |
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स्तनांतर :
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पुं० [सं०] १. हृदय। दिल। २. स्त्रियों के स्तन पर होनेवाला एक प्रकार का चिन्ह जो वैधव्य का सूचक माना जाता है। (सामुद्रिक) |
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स्तनाशुक :
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पुं० [सं०] कपड़े की चौड़ी पट्टी जिससे स्त्रियों स्तन बाँधती हैं। |
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स्तनाग्र :
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पुं० [सं०] स्तन का अगला भाग। चूचुक। |
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स्तनाभुज :
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वि०, पुं०=स्तनपायी। |
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स्तनित :
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पुं० [सं०] १. मेघ-गर्जन। बादलों की गरज। २. आवाज। ध्वनि। शब्द। ३. ताली बजाने का शब्द। करतल ध्वनि। भू० कृ० १. ध्वनित। २. ध्गर्जित। |
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स्तनित-कुमार :
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पुं० [सं०] १. भुवनाधीश नामक जैन देवों का अक वर्ग। २. उक्त वर्ग का कोई देवता। |
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स्तनी (निन्) :
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वि० [सं०] स्तनों वाला। स्तन-युक्त। |
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स्तनोत्तरीय :
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पुं० [सं० पु.त०] प्राचीन काल की वह पट्टी जो स्त्रियाँ स्तनो पर बाँधती थी। कुचांशुक। स्तनांशुक। |
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स्तन्य :
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वि० [सं०] १. स्तन-संबंधी। स्तन का। २. जो स्तन में हो। पुं० १. माता का दूध। २. दूध। |
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स्तन्य-त्याग :
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पुं० [सं०] माता का दूध पीना छोड़ना। |
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स्तन्यदा :
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वि० [स्त्री० ] जिसके स्तनों में से दूध निकलता हो। दूध देने वाली। |
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स्तन्य-दान :
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पुं० [सं०] स्तन पिलाना। स्तन का दूध पिलाना। |
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स्तन्यप :
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वि० [सं०] [स्त्री० स्तन्यपा] स्तन का दूध पीनेवाला। स्तनपायी। पुं० दूध पीता बच्चा। शिशु। |
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स्तन्य-पान :
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पुं० [सं०] स्तन-पान। |
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स्तन्य-पायी (यिन्) :
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वि० पुं० =स्तनपायी। |
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स्तन्य-रोग :
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पुं० [सं०] माता के दूध के कारण होनेवाला रोग। स्तनपान करने से होने वाला रोग। |
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स्तन्य-स्त्राव :
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पुं० [सं०] १. वात्सल्य भाव से विह्वल होने पर आप से आप स्तनो मे दूध बहने लगता है। २. इस प्रकार बहने वाला दूध। |
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