शब्द का अर्थ
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स्फुट :
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वि० [सं०] [भाव० स्फुटता] १. फूटा या टूटा हुआ। २. खुला या खिला हुआ। विकसित। ३. स्पष्ट। व्यक्त। ४. शुक्ल। सफेद। ५. अनिश्चित प्रकारों या वर्गों का। फुटकर। पुं० जन्म-कुंडली में यह दिखाना कि कौन सा ग्रह किस राशि में कितने अंश, कितनी कला और कितनी विकला में है। (फलित ज्योतिष) |
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स्फुटता :
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स्त्री० [सं०] स्फुट होने की अवस्था, गुण या भाव। |
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स्फुटत्व :
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पुं० [सं०]=स्फुटता। |
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स्फुटन :
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पुं० [सं०] [भू० कृ० स्फुटित] १. फटना या फूटना। २. विकसित होना। खिलना। |
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स्फुटा :
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स्त्री० [सं०] साँप का फन। |
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स्फुटिका :
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स्त्री० [सं०] १. किसी चीज का टूटा हुआ या काटकर निकाला हुआ अंश। २. फूट नामक फल। ३. फिटकरी। |
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स्फुटित :
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भू० कृ० [सं०] १. फूटा हुआ। २. विकसित। खिला हुआ। ३. मुँह से कहकर अथवा और किसी प्रकार स्पष्ट रूप से प्रकट या व्यक्त किया हुआ। |
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स्फुटित-कांड-भग्न :
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पुं० [सं०] वैद्यक के अनुसार हड्डी टूटने का वह रूप जिसमें उसके टुकड़े-टुकड़े होकर बिखर जाते हैं। |
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स्फुटी :
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स्त्री० [सं०] १. पादस्फोट नामक रोग। पैर की बिवाई फटना। २. फूट नामक फल। |
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स्फुटीकरण :
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पुं० [सं० स्फुट+करण] स्फुट अर्थात् प्रकट, व्यक्त या स्पष्ट करने की क्रिया या भाव। |
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