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जीवनी/आत्मकथा >> अरस्तू

अरस्तू

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :69
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10541

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सरल शब्दों में महान दार्शनिक की संक्षिप्त जीवनी- मात्र 12 हजार शब्दों में…

जीवन-वृत्त

हेरादोतस ने ऐसी कोई सूचना नहीं छोड़ी है जिससे हम उसके विषय में प्रामाणिक रूप से जान सकें। कैसी विडम्बना है कि वह व्यक्ति स्वयं कुहासे में छिपा हुआ अज्ञात हो गया जिसने अपने संसार के क्रियाकलापों, लोककथाओं को अभिलिखित करने में अपना पूरा बुद्धि चातुर्य लगा दिया ताकि ‘घटित घटनाएं विस्तृत न हो जाएं।‘ उनके जीवन के विषय में विश्वसनीय तथ्य जानने के लिए आधुनिक विद्वान उसके अंतःसाक्ष्य को ही विश्वसनीय मानते हैं जिसकी पुष्टि 10वीं सदी में संपादित प्रसिद्ध यूनानी विश्वकोष सूदा से भी होती है।

आधुनिक अनुमानों के अनुसार हेरादोतस का जन्म लगभग 490 ई.पू. में हलीकारनोसस में हुआ था। उस समय पारसीक सम्राट जरक्सीस से सालामिस की लड़ाई में महान शौर्य प्रदर्शित करने वाली रानी आर्तोमिसिया का शासन था। इसके एक वर्ष पूर्व महान पारसीक सम्राट डेरियस (दारा) प्रथम का अवसान हो चुका था। उसके परिवार के संबंध में सूदा में निहित इन सूचनाओं पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि हेरादोतस का परिवार समाज में प्रतिष्ठित और प्रभावशाली था। उसके पिता लाइजेक्स और माता ड्रयो के थियोडोरस नामक एक पुत्र और था। वह तत्कालीन वीर-रस के कवि पोनीआस्सिस का संबंधी था। उसका जन्म स्थान उस समय पारसीक साम्राज्य के अधीन था, अतः यह संभव है कि युवा हेरादोतस ने साम्राज्य के भीतर घटित हो रही घटनाओं के बारे में और रानी आर्तेमिसिया की कमान में स्थानीय जहाजी बेड़ों की हलचल और यूनान पर आक्रमण करने की पारसीकों की योजना के बारे में प्रत्यक्षदर्शी स्थानीय लोगों से सुना हो। हेरादोतस के युवा होने तक रानी का अंत हो गया था। उसके स्थान पर उसका पौत्र लिग्देमिस नगर का निरंकुश शासक बन चुका था।

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