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जीवनी/आत्मकथा >> कवि प्रदीप

कवि प्रदीप

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :52
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10543

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राष्ट्रीय चेतना और देशभक्तिपरक गीतों के सर्वश्रेष्ठ रचयिता पं. प्रदीप की संक्षिप्त जीवनी- शब्द संख्या 12 हजार।


शषधर मुकर्जी ने अविस्मरणीय फिल्में बनाईं । उनकी पहली फिल्म थी ‘बंधन’ (1940) जिसमें सभी 12 गीत प्रदीप ने लिखे थे। गीतों के कारण फिल्म हिट रही। इस फिल्म का एक गीत उस समय चर्चित, लोकप्रिय और समादृत हुआ। पहले चालीस पंक्तियों के इस गीत की कुछ पंक्तियां देखें जो फिल्म में अशोक कुमार और सुरेश द्वारा तीन स्थलों पर गाई जाती हैं। गीत की पंक्तियां हैं-

चल चल रे नौजवान।
कहना मेरा मान, मान, चल रे नौजवान।

दूर तेरा गांव और थके पांव।
फिर भी तू हरदम आगे बढ़ा कदम।
रुकना तेरा काम नहीं चलना तेरी शान।

यह एक प्रयाण गीत था जिसे देश के नवयुवकों को स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ने के लिए लिखा गया था। फिल्मी लेखक, अभिनेता और निर्माता बद्री प्रसाद जोशी लिखते हैं, चल चल रे नौजवान राष्ट्रीय गीत बन गया। सिंध और पंजाब की विधान सभाओं ने इस गीत को राष्ट्रीय गीत की मान्यता दी और इसे वहाँ बजाया जाने लगा। बी.बी.सी. लंदन में कार्यरत बलराज साहनी ने गीत को कई बार प्रसारित किया। अहमदाबाद में महादेव भाई ने इस गीत की उपमा ऐतरेय ब्राह्मण के मंत्र ‘चरैवेति चरैवेति’ से दी। कई सिनेमा घरों के पर्दे पर इस गीत के खत्म हो जाने के बाद ‘वन्स मोर’ की मांग इतनी जोर से उठती कि इस गीत का संबंधित हिस्सा फिर से दिखाना पड़ता था। यह गीत इतना लोकप्रिय हो गया कि जन जागरण के लिए सम्पन्न प्रभात फेरियों में इसे गाया जाने लगा। इस गीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पं. जवाहर लाल नेहरू ने प्रदीप को बताया था, ‘‘अपने कैशोर्य काल में इंदिरा प्रभात फेरियों में ‘चल चल रे नौजव़ान’ गाकर अपनी ‘वानर सेना’ की परेड कराती थीं।’’ यह गीत नासिक विद्रोह (1946) के समय सैनिकों का अभियान गीत बन गया था। इस फिल्म में एक अन्य हल्का-फुल्का गीत था-

चने जोर गरम,
मैं लाया मजेदार,
चने जोर गरम...

यह गीत फेरी वालों के मुख पर चढ़कर गली-गली गूंजने लगा।

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