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ई-पुस्तकें >> देवकांता संतति भाग 1

देवकांता संतति भाग 1

वेद प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 1997
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2052

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चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...

उसी समय हवा में उछलकर सुपर रघुनाथ उसके सिर पर आ गिरा। विजय ने उसे अपनी पूरी ताकत से उछाल दिया। हवा में लहराता हुआ रघुनाथ सीधा रैना के ऊपर जाकर गिरा। उधर ब्लैक ब्वाय और ठाकुर साहब भी खड़े हो चुके थे।

विकास भी इस समय स्वयं पर नियन्त्रण पा चुका था।

उन पांचों के बीच में खड़ा था विजय.. अपने चारों ओर खड़े परिचित शत्रुओं के चेहरे उसने घूरकर देखे।

''होश में आओ विजय।'' ठाकुर साहब चीखे।

''मैं होश में हूँ।'' विजय गुर्रा उठा-''मुझे जाने दो।''

''पागल मत बनो.. भैया, तुम हम सब पर भी हाथ उठा रहे हो।'' रैना बोली।

''अगर कान्ता को कुछ हो गया तो मैं सारी दुनिया को जलाकर राख कर दूंगा।'' किसी दीवाने प्रेमी की भांति दहाड़ उठा विजय--''मैं उससे मोहब्बत करता हूं..वो मेरे दिल की रानी है.. मेरे सामने से हट जाओ.. -खून की नदी बहा दूंगा.. जो मेरे और कान्ता के बीच आएगा, उसे किसी कीमत पर मैं जिन्दा नहीं छोड़ सकता।''

''गुरु, बाल ब्रह्मचारी होकर ऐसी बातें करते हो!'' विकास बोला। -''बको मत।'' गुर्राया विजय-''मुझे देर हो रही है.. रास्ता छोड़ो।''

यह कहने के साथ ही विजय ने उनके बीच से निकलना चाहा,

किन्तु नहीं निकल सका। ठाकुर साहब, ब्लैक ब्वाय, विकास, रैना और सुपर रघुनाथ के बीच वह ऐसा फंसा कि निकल पाने में सफल नहीं हो सका। हालांकि उनके मध्य से निकलने हेतु विजय ने अपना हर हथकण्डा अपनाया, किन्तु किसी भी कीमत पर वह इन पांच जांबाजों से अधिक शक्तिशाली और चालाक नहीं था।

चारों संगठित हो गए!

दस मिनट पश्चात ही.. पिटते-पिटते विजय बेहोश हो गया। जिस समय 'कान्ता.. कान्ता चीखता हुआ विजय बेहोश हो गया-उन पांचों के हृदय को जैसे शान्ति मिली? उन सभी की सांस फूल चुकी थी।

''इसे वापस ले चलो।'' ठाकुर साहब ने कहा।

ठाकुर साहब का आदेश प्राप्त होते ही विकास बेहोश विजय को ओर बढ़ा।

उसी क्षण-वह मशाल, जो एक तरफ पड़ी हुई जल रही थी एकाएक बुझ गई। सभी हल्के से चौंके.. उसी समय अन्धकार को चीरती हुई एक आवाज उनके कानों के माध्यम से जेहन में उतरती चली गई--'सावघान! मिस्टर विजय हमारे पिता हैं-जो उनके जिस्म को हाथ लगाएगा-हम सर कलम कर देंगे।'

सबकी बुद्धि एकदम चकराकर रह गई।

अंधकार के गर्भ से पुन: एक चेतावनी-'दस कदम पीछे हट जाओ।' प्रत्येक व्यक्ति सोच रहा था.. आखिर ये चक्कर क्या है!

० ० ०

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