ई-पुस्तकें >> शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिता शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिताहनुमानप्रसाद पोद्दार
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भगवान शिव की महिमा का वर्णन...
मिट्टी का शिवलिंग बनाकर विधिपूर्वक उसकी स्थापना करे। अपने घर में रहनेवाले लोगों को स्थापना-सम्बन्धी सभी नियमों का सर्वथा पालन करना चाहिये। भूतशुद्धि एवं मातृका न्यास करके प्राणप्रतिष्ठा करे। शिवालय में दिक्पालों की भी स्थापना करके उनकी पूजा करे। घर में सदा मूलमन्त्र का प्रयोग करके शिव की पूजा करनी चाहिये। वहाँ द्वारपालों के पूजन का सर्वथा नियम नहीं है। भगवान् शिवके समीप ही अपने लिये आसन की व्यवस्था करे। उस समय उत्तराभिमुख बैठकर फिर आचमन करे, उसके बाद दोनों हाथ जोड़कर तब प्राणायाम करे। प्राणायाम काल में मनुष्य को मूलमन्त्र की दस आवृत्तियाँ करनी चाहिये। हाथों से पाँच मुद्राएँ दिखाये। यह पूजा का आवश्यक अंग है। इन मुद्राओं का प्रदर्शन करके ही मनुष्य पूजा-विधि का अनुसरण करे। तदनन्तर वहाँ दीप निवेदन करके गुरु को नमस्कार करे और पद्मासन या भद्रासन बाँधकर बैठे अथवा उत्तानासन या पर्यंकासन का आश्रय लेकर सुखपूर्वक बैठे और पुन: पूजन का प्रयोग करे। फिर अर्ध्यपात्र से उत्तम शिवलिंग का प्रक्षालन करे। मन को भगवान् शिव से अन्यत्र न ले जाकर पूजासामग्री को अपने पास रखकर निम्नांकित मन्त्रसमूह से महादेवजी का आवाहन करे।
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