उपन्यास >> आशा निराशा आशा निराशागुरुदत्त
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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...
‘मैंने मुश्ताक अहमद और उसकी बीवी को उसी मकान के नीचे रहने के लिए कह दिया है। वह चौकीदारी और खानसामा का काम भी करेगा। नसीम बेयरा का काम करेगी। साथ ही घर की देख-भाल करेगी।’
‘और अंकल!’ मैंने अजीज से समीप का सम्बन्ध बनाने के लिए कह दिया, ‘मेरी पुस्तक के लिए आप मेरी क्या सहायता कर सकेंगे?’
‘मुझे यह भी हुक्म हुआ है कि वे सब सरकारी कागज़ात जो आप चाहें, आपको दिखाये जा सकते हैं। साथ ही मैं आपकी जानकार लोगों से भेट कराऊं और उनसे सहायता दिलवाऊं।’
‘‘अजीज अहमद छप्पन-सत्तावन वर्ष की आयु का व्यक्ति था। वह सेना कार्य से अवकाश पाकर अब सिविल काम में ले लिया गया था। कई लोग थे जो गवर्नर जनरल के प्राईवेट सेक्रेटरी के रूप में काम करते थे। अजीज अहमद गवर्नर के महमानों के लिए व्यवस्था करने पर नियुक्त था। इसी कारण मेरा प्रबन्ध भी उसे दे दिया गया था।
‘‘मैं अपने रहने का प्रबन्ध सुन बहुत प्रसन्न थी। अतः मैंने अजीज साहब का धन्यवाद करते हुए कहा, ‘‘आप तो मेरे पिता समान हैं। मैं यहां का इस आजादी के काल का इतिहास लिखकर अपने पिताजी के प्रति और उनके देश के प्रति अपना कर्तव्य पालन करने का विचार रखती हूं। मैं चाहती हूं कि इस विषय के साथ न्याय कर सकूं। अतः जितने भी घटनाओं का विस्तृत वृत्तान्त पता करने में सहायता देंगे, उतनी ही अच्छी पुस्तक लिखी जा सकेगी।’’
‘मैं अपनी ओर से पूरा यत्न करूंगा।’
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