लोगों की राय

उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

203 पाठक हैं

जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


‘‘किसलिये पूछते हो?’’

‘‘मुझे कुछ अपना काम है। आधा घण्टा लग जायेगा।’’

‘‘तो हो आओ। शीघ्र आ जाना।’’

इतने में नज़ीर ने माँ को पूर्ण स्थिति से अवगत कर दिया। वे दोनों मकान के ड्राइंग रूम में चली गई थीं। माँ ने परेशानी प्रकट करते हुए कहा, ‘‘यह तुमने क्या किया है? तुम्हारे फादर नाराज़ होंगे।’’

‘‘अम्मी, नहीं होंगे। तुम हमें कुछ रुपया दे दो जिससे हम अमेरिका जा सकें।’’

‘‘इस समय ‘कैश’ तो इतना कुछ नहीं है।’’

‘‘तब तो बहुत गड़बड़ हो सकती है। मम्मी, मेरे पास तो पाकिस्तान के चार-पाँच सौ रुपये से अधिक नहीं हैं। वह डॉलर में बदले तो जा सकते हैं, मगर उससे तो स्विट्जरलैण्ड भी नहीं जाया जा सकता।’’

तेज ड्राइवर से बात कर भीतर आया तो उसने आते ही अपने समाचार पत्र वालों को टेलीफोन किया। समाचार-पत्र से सन्देश आया ‘‘तुरन्त कार्यालय में चले आओ। तुम्हें आवश्यक ‘मिशन’ पर भेजना है।’’

‘‘आ रहा हूं।’’ तेजकृष्ण ने कहा, ‘‘परन्तु मैनेजर साहब! मेरे पास इस समय खर्चे के लिये कुछ नहीं और मैं अपनी पत्नी के साथ ‘हनीमून’ पर जाना चाहता हूं।’’

‘‘पत्नी को साथ लेते आओ। हमारा काम भी होगा और ‘हनीमून’ भी हो जायेगा।’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book