लोगों की राय

उपन्यास >> सुमति

सुमति

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :265
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7598

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

327 पाठक हैं

बुद्धि ऐसा यंत्र है जो मनुष्य को उन समस्याओं को सुलझाने के लिए मिला है, जिनमें प्रमाण और अनुभव नहीं होता।


जिस दिन मराठी की परीक्षा समाप्त हुई, कृष्ण ने नलिनी से कहा, ‘‘फर्नीचर तो चला गया है। वह उसका भाड़ा और टूट-फूट के पैसे माँग रहा है?’’

‘‘कुल कितना माँग रहा है?’’

‘‘उसका कहना है कि मैं उसके यहाँ पहुँचकर टूट-फूट की कीमत अपने सामने लगवा लूँ। साथ ही होटल वाले को भी देना है और चपरासी तथा मराठी के अध्यापक का वेतन भी है।’’

‘‘तुम दो चैकों पर हस्ताक्षर करके दे दो। एक तो मैं फर्नीचर वाले को दे दूँगा और दूसरा अन्य भुगतान के लिए कैश करवा लाऊँगा। यदि दिल्ली जाने के लिए कुछ चाहिए तो वह भी बता दो। उसे भी उसमें सम्मिलित कर निकाल लाऊँगा।’’

‘‘दिल्ली जाने के लिए तो निकालने की आवश्यकता नहीं। आप उन सबका हिसाब बनाकर भुगतान कर दीजिए।’’ इस प्रकार नलिनी ने चैक-बुल निकाल, दो चैकों पर हस्ताक्षर कर, कृष्णकान्त को दे दिए।

चैक लेकर कृष्णकान्त ने पूछा, ‘‘मैं समझता हूँ कि सब हज़ार-बारह सौ रुपया हो जाएगा। इतना रुपया बैंक में हैं भी कि नहीं?’’

‘‘बैंक में तीन हजार के लगभग होना चाहिए।’’

इस प्रकार चैक लेकर खड़वे गया तो फिर लौटकर नहीं आया। नलिनी रात तक उसकी प्रतीक्षा करती रही। अब उसको चिन्ता लगने लगी। वह पश्चात्ताप कर रही थी कि उसने चैकों में राशि भरकर क्यों नहीं दी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book