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उपन्यास >> सुमति

सुमति

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :265
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7598

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बुद्धि ऐसा यंत्र है जो मनुष्य को उन समस्याओं को सुलझाने के लिए मिला है, जिनमें प्रमाण और अनुभव नहीं होता।


इस प्रकार पुलिस वाले अभी जाँच-पड़ताल कर ही रहे थे कि नलिनी पहुँच गई। घर पर पुलिस को उपस्थित देख वह समझ गई कि रुपयों की चोरी के अतिरिक्त भी कृष्णकान्त ने कुछ किया है। इससे सतर्क हो वह प्रश्न-भरी दृष्टि से उनको देखने लगी।

लड़की के पिता ने पुलिसवालों को उसके आने की सूचना दी तो वे स्कूल में चलकर पूछताछ करने के विचार से बोले, ‘‘स्कूल खोलिए, हम आपसे कुछ बातें जानना चाहते हैं।’’

‘‘आइए!’’ नलिनी ने स्कूल का ताला खोला और कार्यालय में ले जाकर उनको बैठा दिया।

‘‘आप स्कूल बन्द करने वाली हैं क्या?’’

‘‘नहीं।’’

‘‘तो यह खाली-खाली-सा क्यों है?’’

‘‘अब परीक्षाएँ समाप्त हो चुकी हैं। मैं पाँच मास के लिए दिल्ली जा रही हूँ। फर्नीचर किराए पर लिया गया था, इस कारण इतने मास का व्यर्थ किराया देने से बचने के लिए उसे वापस कर दिया गया है।’’

‘‘आप दिल्ली कब जा रही है?’’

‘‘लगभग एक सप्ताह बाद।’’

‘‘आपके स्कूल में सौदामिनी नाम की कोई गणित की छात्रा थी?’’

‘‘हाँ, पढ़ती थी।’’

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