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गुप्त धन-2 (कहानी-संग्रह)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :467
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8464

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प्रेमचन्द की पच्चीस कहानियाँ


लुईसा के चेहरे का रंग कुछ का कुछ हो गया। अजीब पागलपन से मेरी तरफ़ देखकर बोली– तुमने और क्या देखा?

मैंने कहा– जितना मैंने देखा है उतना उस राजपूत को जलील करने के लिए काफ़ी है। ज़रूर उसकी किसी से आशनाई है और वह औरत हिन्दोस्तानी नहीं, कोई योरोपियन लेडी है। मैं क़सम खा सकता हूँ, दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़े बिलकुल उसी तरह बातें कर रहे थे, जैसे प्रेमी-प्रेमिका किया करते हैं।

लुईसा के चेहरे पर हवाईयाँ उड़ने लगीं। चौधरी, मैं कितना कमीना हूँ, इसका अन्दाजा तुम खुद कर सकते हो। मैं चाहता हूँ, तुम मुझे कमीना कहो। मुझे धिक्कारो। मैं दरिन्दे वहशी से भी ज़्यादा बेरहम हूँ, काले सांप से भी ज़्यादा जहरीला हूँ। वह खड़ी दीवार की तरफ़ ताक रही थी कि इसी बीच राजर्स का कोई दोस्त आ गया। वह उसके साथ चला गया। लुईसा मेरे साथ अकेली रह गई तो उसने मेरी ओर प्रार्थना-भरी आँखों से देखकर कहा– किरपिन, तुम उस राजपूत सिपाही की शिकायत मत करना।

मैंने ताज्जबु से पूछा– क्यों?

लुईसा ने सर झुकाकर कहा– इसलिए कि जिस औरत को तुमने उसके साथ बातें करते देखा वह मैं ही थी।

मैंने और भी चकित होकर कहा-तो क्या तुम उसे…

लुईसा ने बात काटकर कहा– चुप, वह मेरा भाई है। बात यह है कि मैं कल रात को एक जगह जा रही थी; तुमसे छिपाऊँगी नहीं, किरपिन जिसको मैं दिलोजान से ज़्यादा चाहती हूँ, उससे रात को मिलने का वादा था, वह मेरे इन्तज़ार में पहाड़ के दामन में खड़ा था। अगर मैं न जाती तो उसकी कितनी दिलशिकनी होती मैं ज्योंही मैंगजीन के पास पहुँची उस राजपूत सिपाही ने मुझे टोक दिया। वह मुझे फ़ौजी कायदे के मुताबिक सार्जेण्ट के पास ले जाना चाहता था लेकिन मेरे बहुत अनुनय-विनय करने पर मेरी लाज रखने के लिए फ़ौजी क़ानून तोड़ने को तैयार हो गया। सोचो, उसने अपने सिर कितनी बड़ी जिम्मेदारी ली। मैंने उसे अपना भाई कहकर पुकारा है और उसने भी मुझे बहन कहा है। सोचो अगर तुम उसकी शिकायत करोगे तो उसकी क्या हालत होगी वह नाम न बतलायेगा, इसका मुझे पूरा विश्वास है। अगर उसके गले पर तलवार भी रख दी जायगी, तो भी वह मेरा नाम न बतायेगा, मैं नहीं चाहती कि एक नेक काम करने का उसे यह इनाम मिले। तुम उसकी शिकायत हरगिज मत करना। तुमसे यही मेरी प्रार्थना है।

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