कहानी संग्रह >> गुप्त धन-2 (कहानी-संग्रह) गुप्त धन-2 (कहानी-संग्रह)प्रेमचन्द
|
325 पाठक हैं |
प्रेमचन्द की पच्चीस कहानियाँ
नाक्स ने फिर अपनी दास्तान शुरू की– उस दिन, रात को जब लुईसा तुमसे बातें कर रही थी, मैं अपने कमरे मैं बैठा हुआ तुम्हें दूर से देख रहा था। मुझे उस वक़्त मालूम था कि वह लुईसा है। मैं सिर्फ़ यह देख रहा था कि तुम पहरा देते वक़्त किसी औरत का हाथ पकड़े उससे बातें कर रहे हो। उस वक़्त मुझे जितनी पाजीपन से भरी हुई खुशी हुई व बयान नहीं कर सकता। मैंने सोचा, अब इसे जलील करूँगा। बहुत दिनों के बाद बचा फंसे हैं। अब किसी तरह न छोडूँगा। यह फैसला करके मैं कमरे से निकला और पानी में भीगता हुआ तुम्हारी तरफ़ चला। लेकिन जब तक मैं तुम्हारे पास पहुँचूँ लुईसा चली गयी थी। मजबूर होकर मैं अपने कमरे लौट आया। लेकिन फिर भी निराश न था, मैं जानता था कि तुम झूठ न बोलोगे और जब मैं कमाण्डिंग अफसर से तुम्हारी शिकायत करूँगा तो तुम अपना क़सूर मान लोगो। मेरे दिल की आग बुझाने के लिए इतना इत्मीनान काफ़ी था। मेरी आरजू पूरी होने में अब कोई संदेह न था।
मैंने मुस्कराकर कहा– लेकिन आपने मेरी शिकायत तो नहीं की? क्या बाद को रहम आ गया?
नाक्स ने जवाब दिया– जी, रहम किस मरदूद को आता था। शिकायत न करने का दूसरा ही कारण था, सबेरा होते ही मैंने सबसे पहला काम यही किया कि सीधे कामण्डिंग अफ़सर के पास पहुँचा। तुम्हें याद होगा मैं उनके बड़े बेटे राजर्स को घुड़सवारी सिखाया करता था इसलिए वहाँ जाने में किसी किस्म की झिझक या रुकावट न हुई। जब मैं पहुँचा था राजर्स ने कहा– आज इतनी जल्दी क्यों किरपिन? अभी तो वक़्त नहीं हुआ? आज बहुत खुश नज़र आ रहे हो?
मैंने कुर्सी पर बैठते हुए कहा– आज का दिन मेरी जिन्दगी में मुबारक है। आज मुझे अपने पुराने दुश्मन को सजा देने का मौक़ा हाथ आया है। आपको मालूम है न एक राजपूत सिपाही ने कमार्ण्ड़िग अफ़सर से शिकायत करके मेरी तनज़्ज़ुली करा दी थी।
राजर्स ने कहा– हाँ-हाँ, मालूम है। मगर तुमने उसे गाली दी थी।
मैंने किसी कदर झेंपते हुए कहा– मैंने गाली नहीं दी थी सिर्फ़ ब्लडी कहा था। सिपाहियों में इस तरह की बदजब़ानी एक आम बात है मगर एक राजपूत ने मेरी शिकायत कर दी थी। आज मैंने उसे एक संगीन जुर्म में पकड़ लिया हैं। खुदा ने चाहा तो कल उसका भी कोर्ट-मार्शल होगा। मैंने आज रात को उसे एक औरत से बातें करते देखा है। बिलकुल उस वक़्त जब वह ड्यूटी पर था। वह इस बात से इन्कार नहीं कर सकता। इतना कमीना नहीं है।
|