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गुप्त धन-2 (कहानी-संग्रह)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :467
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8464

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प्रेमचन्द की पच्चीस कहानियाँ

शादी की वजह

यह सवाल टेढ़ा है कि लोग शादी क्यों करते हैं? औरत और मर्द को प्रकृत्या एक-दूसरे की ज़रूरत होती है लेकिन मौजूदा हालत में आम तौर पर शादी की यह सच्ची वजह नहीं होती बल्कि शादी सभ्य जीवन की एक रस्म-सी हो गयी है। बहरलहाल, मैंने अक्सर शादीशुदा लोगों से इस बारे में पूछा तो लोगों ने इतनी तरह के जवाब दिए कि मैं दंग रह गया। उन जवाबों को पाठकों के मनोरंजन के लिए नीचे लिखा जाता है–

एक साहब का तो बयान है कि मेरी शादी बिल्कुल कमसिनी में हुई और उसकी ज़िम्मेदारी पूरी तरह मेरे माँ-बाप पर है। दूसरे साहब को अपनी ख़ूबसूरती पर बड़ा नाज़ है। उनका ख़याल है कि उनकी शादी उनके सुन्दर रूप की बदौलत हुई। तीसरे साहब फ़रमाते हैं कि मेरे पड़ोस में एक मुंशी साहब रहते थे जिनके एक ही लड़की थी। मैंने सहानूभूतिवश खुद ही बातचीत करके शादी कर ली। एक साहब को अपने उत्तराधिकारी के रूप में एक लड़के की ज़रूरत थी। चुनांचे आपने इसी धुन में शादी कर ली। मगर बदक़िस्मती से अब तक उनकी सात लड़कियाँ हो चुकी हैं और लड़के का कहीं पता नहीं। आप कहते हैं कि मेरा ख़याल है कि यह शरारत मेरी बीवी की है जो मुझे इस तरह कुढ़ाना चाहती है। एक साहब बड़े पैसे वाले हैं और उनको अपनी दौलत खर्च करने का कोई तरीक़ा ही मालूम न था इसलिए उन्होंने अपनी शादी कर ली। एक और साहब कहते हैं कि मेरे आत्मीय और स्वजन हर वक़्त मुझे घेरे रहा करते थे इसलिए मैंने शादी कर ली। और इसका नतीजा यह हुआ कि अब मुझे शान्ति है। अब मेरे यहाँ कोई नहीं आता। एक साहब तमाम उम्र दूसरों की शादी-ब्याह पर व्यवहार और भेंट देते-देते परेशान हो गए तो आपने उनकी वापसी की ग़रज से आख़िरकार खुद अपनी शादी कर ली।

और साहबों से जो मैंने दर्याफ़्त किया तो उन्होंने निम्नलिखित कारण बतलाये। यह जवाब उन्हीं के शब्दों में नम्बरवार नीचे दर्ज किए जाते हैं–

१–  मेरे ससुर एक दौलत मन्द आदमी थे और उनकी यह इकलौती बेटी थी इसलिए मेरे पिता ने शादी की।

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