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गुप्त धन-2 (कहानी-संग्रह)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :467
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8464

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प्रेमचन्द की पच्चीस कहानियाँ


२–  मेरे बाप-दादा सभी शादी करते चले आए हैं इसलिए मुझे भी शादी करनी पड़ी।

३–  मैं हमेशा से खामोश और कम बोलने वाला रहा हूँ, इनकार न कर सका।

४–  मेरे ससुर ने शुरू में अपने धन-दौलत का बहुत प्रदर्शन किया इसलिए मेरे मां-बाप ने फौरन मेरी शादी मंजूर कर ली।

५–  नौकर अच्छे नहीं मिलते थे और अगर मिलते भी थे तो ठहरते नहीं थे। खास तौर पर खाना पकानेवाला अच्छा नहीं मिलता। शादी के बाद इस मुसीबत से छुटकारा मिल गया।

६–  मैं अपना जीवन-बीमा कराना चाहता था और खानापूरी के वास्ते विधवा का नाम लिखना ज़रूरी था।

७–  मेरी शादी जिद में हुई। मेरे ससुर शादी के लिए रजामन्द न होते थे मगर मेरे पिता को जिद हो गई। इसलिए मेरी शादी हुई। आख़िरकार मेरे ससुर को मेरी शादी करनी ही पड़ी।

८–  मेरे ससुरालवाले बड़े ऊंचे खानदान के हैं इसलिए मेरे माता-पिता ने कोशिश करके मेरी शादी की।

९–  मेरी शिक्षा की कोई उचित व्यवस्था न थी इसलिए मुझे शादी करनी पड़ी।

१०– मेरे और मेरी बीवी के जनम के पहले ही हम दोनो के मां-बाप में शादी की बातचीत पक्की हो गयी थी।

११– लोगों के आग्रह से पिता ने शादी कर दी।

१२– नस्ल और खानदान चलाने के लिए शादी की।

१३– मेरी माँ का देहान्त हो गया था और कोई घर को देखनेवाला न था इसलिए मजबूरन शादी करनी पड़ी।

१४– मेरी बहनें अकेली थीं, इस वास्ते शादी कर ली।

१५– मैं अकेला था, दफ्तर जाते वक़्त मकान में ताला लगाना पड़ता था इसलिए शादी कर ली।

१६– मेरी मां ने क़सम दिलाई थी इसलिए शादी की।

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