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उपन्यास >> पाणिग्रहण पाणिग्रहणगुरुदत्त
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संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव
‘‘वह गाँव गई थी और लौटी नहीं। मुझको पता चला है कि वहाँ उसकी तबीयत बहल रही है।’’
‘‘हाँ, यह हो सकता है। उसका बच्चा जो वहाँ है।’’
‘‘मगर हजरत! मुझको तो इस बात का यकीन हो रहा है कि वह नवाब साहब की खिदमत में रहने लगी है। बड़ी अम्मीजान की बाँदी ‘हुदी’ आज आयी थी और वह बता रही थी कि नवाब साहब अपनी बेगमों के कमरों में तो जाते ही नहीं और रहमत वहीं है।
‘‘मेरी राय मानिये। आप कल गाँव चले जाइये और हकीकत मालूम कीजिए। कुछ इसका इन्तजाम होना चाहिए। यदि वह बात सच है, तो उसको इस कोठी में घुसने नहीं देना चाहिए।’’
अनवर विचार करता था कि यदि सत्य ही ऐना का सम्बन्ध वालिद शरीफ से हो गया है, तो वह किसके करने से हुआ है? क्या नवाब साहब इसमें कसूरदार नहीं हैं? उसको ऐना के गाँव जाने के पहले ही दिन की बात का स्मरण हो आयी। तब उसके पिता ने ऐना के सौन्दर्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की थी। इसके साथ ही उसके पिता का उसकी चार बीवियों को बुर्के में बैठे देख ठंडी साँस लेना, असगरी के अनुमान की सच्चाई प्रकट करता था।
वह अगले दिन बहुत सुबह ही गाँव में जा पहुँचा। सीधा वह अपने पिता के कमरे में गया। उनका सोने का कमरा खाली पड़ा था। उनकी चारों बेगमें जाग रही थीं और अपने-अपने कमरों में थीं। वह एक-एक कर सबसे मिला और बताया गया कि नवाब साहब ऐना के कमरे में हैं।
बड़ी बेगम ने तो यहाँ तक कह दिया, ‘‘अनवर! मैं तो अब बूढ़ी हो गई हूँ और किसी नौजवान औरत से हसद नहीं कर सकती, मगर तुम्हारे अब्बाजान की सेहत और लम्बी उमर का मुझे हर वक्त ख़्याल रहता है।’’
अनवर यह पता कर कि ऐना को किस कमरे में ठहराया गया है, वहाँ गया। नवाब साहब वहाँ थे। अपने नाइट गाउन में पलंग पर बैठे कॉफी पी रहे थे।
‘‘अब्बाजान!’’ अनवर ने कमरे में दाखिल होते ही कह दिया, ‘‘कहाँ है वह बदकार औरत? मैं उसको जूतों से पीट-पीटकर यहाँ से निकाल दूँगा।’’
‘‘क्यों?’’
‘‘वह लड़के की बीवी रहने के बाद बाप की बीवी बन रही है।’’
‘‘नहीं अनवर! वह मेरी बीवी नहीं है और न ही अब वह तुम्हारी बीवी है। अब वह एक आजाद औरत हैं और एक बगीचे के फूल की तरह कदरदानों को ‘मुसर्रत’ बख्श रही है।’’
‘‘तो मैं उसको खर्चा देने से बरी हो गया हूँ। वह आवारा हो गयी है।’’
‘‘आवारा तो नहीं कह सकते। इस पर भी अब तुम खर्चा देना बन्द कर सकते हो।’’
‘‘मैं इसके मुताल्लिक अदालत में फैसला चाहता हूँ।’’
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