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उपन्यास >> पाणिग्रहण

पाणिग्रहण

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :651
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 8566

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संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव


डॉक्टर ने एक दूसरी मोटर में थानेदार और दो कॉन्स्टेबलों को चढ़ते देखकर उनको भी ठहरने को कहा और इन्द्र, रजनी को लेकर उनके पास जाकर कहने लगा, ‘‘ये मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी हैं। इनके प्रोफेसर ने मिसेज ऐना को मारे जाने से सचेत करने के लिए इन्हें भेजा है। ये भीड़ में खड़े मिल गये हैं। आप इनके बयान भी लिख लें।’’

‘‘आप इनको जानते हैं?’’

‘‘नहीं, ये भीड़ में खड़े थे। मिसेज ऐना ने इनको पहचाना है कि ये मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी हैं। उन्होंने इनसे हस्पताल में सहायता लेने के लिए साथ ले चलने के लिए कहा था। मैंने जब इनको बताया कि मिसेज ऐना को विष दिया गया है तो ये बोले कि इस घटना से ही इसको सतर्क करने के लिए आये थे, मगर इनको देरी हो गयी है।’’

थानेदार ने डॉक्टर को तो ऐना को लेकर हस्पताल चलने को कह दिया और स्वयं इन्द्र और रजनी को लेकर पुनः कोठी में चला गया। कोठी के बरामदे में बैठ रजनी के बयान लिखने लगा। रजनी ने पहले अपने और ऐना के परिचय का कारण बताया। पति ऐना के बच्चा जनने के लिए हस्पताल में भरती होने की बात बताई। फिर उसके ऑपरेशन होने और नवाब साहब तथा उसके लड़के का ऐना को समाप्त कर देने का प्रयत्न, जो डॉक्टर सैंडरसन ने बताया था, बता दिया।

रजनी ने यह भी बताया कि अपनी परीक्षा में व्यस्त रहने के कारण वह आ नहीं सकी थी। आज कुछ अवकाश मिला तो अपने भाई इन्द्र के साथ ऐना को सचेत करने के लिए वह आयी थी। यहाँ ऐना को एम्बुलैंस कार में जाते देख उसको प्रोफेसर का सन्देश देने के लिए चले गये थे।

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