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उपन्यास >> पाणिग्रहण

पाणिग्रहण

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :651
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 8566

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संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव

चौथा परिच्छेद

1

टिमोथी स्मिथ को आखिर पति मिला। ऐंग्लो-इंडियन समुदाय में लड़के-लड़की के लिए अपना जीवनसाथी स्वयं ढूंढना होता है। इनके लिए दो प्रथाएँ अत्यावश्यक हो गयी हैं। एक तो विवाह अल्पायु में नहीं होते। दूसरे यह कि लड़के-लड़कियों को परस्पर मिलना और एक-दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करना जीवन का एक अंग बन गया है।

युवा लड़के-लड़कियाँ जब अपने योग्य साथी ढूंढ़ने लगते हैं तो पहला विचारणीय विषय होता है, शारीरिक सौन्दर्य। यह सबमें एक समान नहीं होता। दूसरा स्थान होता है श्रृंगार-प्रसाधनों के प्रयोग के ढंग का। इसमें लड़कियों की माताएँ अथवा उनकी अनुभवी, विवाहित सखियाँ सहायक होती हैं। साथ ही लड़कों के लिए उनके मित्र, दरजी और हज्जाम पथ-प्रदर्शक बन जाते हैं।

टिमोथी स्मिथ का इस विषय में पथ-प्रदर्शन ऐना ने किया। ऐना जानती थी कि टिमोथी को विष्णु स्वीकार नहीं कर रहा। इसका कारण जहाँ उसका साधारण रूपरेखा का होना है, वहाँ उसकी श्रृंगार-प्रसाधनों के प्रयोग के ढंग से अनभिज्ञता भी है।

उसने टिमोथी की सहायता करने का विचार कर लिया। जब एक दिन वह उससे मिलने आई तो उसने इस विषय में उससे चर्चा छेड़ दी और कहा–‘‘देखो टिम! भगवान् ने तुम्हें साधारण रूपरेखा का बनाया है, परन्तु बनाव-श्रृंगार कर तुम अपने को आकर्षक बना सकती हो। मेरी राय मानो तो जरा सावधानी से क्रीम-पाउडर का प्रयोग किया करो। और यह अपने बाल तो हेयर ड्रेसर से ठीक करवा डालो।’’

टिमोथी ने एक दीर्घ श्वास लेते हुए कहा–‘‘ऐना! मैं क्या करूँ? जो सवा सौ-डेढ़ सौ प्रतिमाह मिलता है, वह तो खाने-पीने में समाप्त हो जाता है। फिर डैडी का भी खर्चा है। इसके लिए रुपया कहाँ से लाऊँ?’’

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