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उपन्यास >> पाणिग्रहण

पाणिग्रहण

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :651
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 8566

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संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव


विलियम की पत्नी थी और एक लड़का तथा एक लड़की। लड़का लड़की से दो वर्ष बड़ा था। ये अभी बच्चे ही थे तो इनको मद्य और सिगरेट का चस्का लग गया था। प्रायः घर में दावतें होती रहती थीं और उनमें मांस-मुर्गे के अतिरिक्त सिगरेट और मद्य का प्रयोग भी खूब होता था। एक बार ऐना ईरीन और जॉर्ज इरीन भी दावत में बिठाये गये थे।

बैरा ने उनके सामने भी प्लेट, छुरी, काँटा रखा, परन्तु उनके सामने मद्य पीने का गिलास नहीं रखा। पहले तो ऐना गिलास की प्रतीक्षा करती रही, परन्तु जब नहीं आया तथा अन्य लोग बोतल में से गिलासों में डाल-डालकर पीने लगे तो उसने आवाज दे दी, ‘‘बैरा!’’

‘‘हाँ, हुजूर!’’ बैरा ने समीप आकर पूछा।

‘‘एक गिलास यहाँ भी रखो।’’

बैरा मुस्कराया और कुछ विचार कर गिलास ले आया। साथ ही एक ‘रोज एयरेटिड वाटर’ को बोतल खोलकर रख गया। इस समय ऐना दस वर्ष की हो गयी थी और मद्य की बोतल तथा रोज़ की बोतल में अन्तर समझने लगी थी।

जॉर्ज उसको देखकर मुस्करा रहा था। वह उसके साथ ही कुर्सी पर बैठा था। ऐना बोतल को देख बैरा को डाँटने वाली थी कि जॉर्ज ने कान में कह दिया–‘‘चुप! चुप!!’’

ऐना ने उसकी ओर देखकर पूछा, ‘‘क्यों?’’

‘‘पीछे बताऊँगा।’’

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