उपन्यास >> पाणिग्रहण पाणिग्रहणगुरुदत्त
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संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव
मिस इरीन और मिस स्मिथ मेडिकल कॉलेज में जाने के प्रलोभन से यूनिवर्सिटी कॉलेज की ‘इण्टरमीडिएट विद साइंस’ में प्रविष्ट हुई थीं। वहाँ वे अपनी श्रेणी के बत्तीस विद्यार्थियों के सम्पर्क में आयीं और अपने घरों के विधि-विधान का प्रभाव उन पर न्यूनाधिक डालने लगीं। जैसा-जैसा विद्यार्थियों के घरों का वातावरण था और जितना-जितना वे अपने घरों से हिले-मिले थे, उसके अनुसार वे उन सहपाठिनियों के व्यवहार से प्रभावित हुए।
इन दोनों ऐंग्लो-इण्डियन लड़कियों के अतिरिक्त केवल एक कायस्थ बिरादरी की लड़की रजनी उनकी श्रेणी में थी। वह इनके साथ सबसे अधिक हेल-मेल रखती थी, इस पर भी वह सबसे कम प्रभावित हुई थी। एक तो उसका इनसे सम्पर्क केवल कॉलेज में ही होता था। कॉलेज के समयोपरान्त रजनी के माता-पिता रजनी को घर पर देखने के लिए उत्सुक रहते थे। दूसरे, रजनी की माँ पूजा-पाठ, दान-धर्म तथा कथा-कीर्तन में रुचि रखती थी। अतः घर का वातावरण उसके कॉलेज के प्रभावों का मार्जन करता रहता था।
इरीन इत्यादि तो कॉलेज के समय में भी किसी लड़के की संगत को अधिक रुचिकर मानती थीं। अतः रजनी उनके जीवन से प्रायः बाहर ही रहती थी।
इरीन का पिता, यू० पी० के पी० डब्ल्यू० डी० विभाग में इंजीनियर था। विलियम इरीन वेतन तो साढ़े पाँच सौ ही पाता था, परन्तु उसके घर में मद्य का मासिक बिल ही हजार रुपये से ऊपर हो जाया करता था। यह बात निर्विवाद थी कि वेतन के अतिरिक्त भी आय थी और यह घर के सब प्राणी जानते थे। कोठी, जिसमें वह रहता था, ढाई एकड़ भूमि पर निजी बनी हुई थी। उसमें खुले लॉन, फल-फूलों के बगीचे, अपना पानी का प्रबन्ध और हर प्रकार का सुख-सुविधाजनक प्रबन्ध था।
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