लोगों की राय

उपन्यास >> प्रगतिशील

प्रगतिशील

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8573

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

88 पाठक हैं

इस लघु उपन्यास में आचार-संहिता पर प्रगतिशीलता के आघात की ही झलक है।


‘‘यह तो बहुत ही अच्छा हुआ। मैं आपसे उनके मकान तक पहुंचने में सहायता लूगां।’’

वह अभी बैठी ही थी कि एक अन्य लड़की झांककर भीतर आ गई। उसने दूसरी लड़की को सम्बोधित करते हुए कहा, ‘‘मैकी! मैंने सुना है कि तुम मिशिगन जा रही हो?’’

‘‘हां, मेरे ग्राण्ड पा अस्वस्थ हैं। अभी एक घण्टा पूर्व टेलीफोन आया था। इसलिए मैं कल यहां से जा रही हूं।’’

‘‘मेरी मां से मिलकर मेरा समाचार उन्हें दे देना।’’

‘‘यही कि तुम अपने पति को तलाक दे रही हो?’’

‘‘हां, और यह भी कि तीन मास के अनन्तर मैं दूसरा विवाह कर लूंगी।’’

‘‘यह तुम्हारा कौन-सा पति होगा?’’

वह लड़की उगंलियों पर गिन कर बोली, ‘‘पांचवां।’’

‘‘अच्छा, यह बताओ, इन पांचों में तुम्हें कौन सबसे अधिक पसन्द था?’’

‘‘कोई भी नहीं।’’

‘‘तो फिर विवाह क्यों कर रही हो?’’

‘‘जस्ट फार दि सैक ऑफ फन।’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book