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उपन्यास >> प्रगतिशील

प्रगतिशील

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8573

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इस लघु उपन्यास में आचार-संहिता पर प्रगतिशीलता के आघात की ही झलक है।


दोनों हंसने लगीं। इस समय वही लड़की, जो रैस्टोरां में बैरा का कार्य करती थी, अपने साधारण लिबास में वहां आ गई और उन दो लड़कियों को वहां बैठी देख, पूछने लगी, ‘‘मैकी! तुम यहां क्या कर रही हो?’’

‘‘मैं इन महानुभाव से परिचय बढ़ा रही हूं।

आओ, तुम भी आ जाओ।’’

मैकी ने मदन को अपना परिचय देते हुए कहा, ‘‘मेरी मां नहीं है। उसने मेरे पिता को तलाक देकर एक पैरिस-निवास से विवाह कर लिया है। मैं अपने पिता के पास ही रह गई। मेरे पिता ने दूसरा विवाह नहीं किया। वह मेरी मां से बहुत प्यार करते थे। मैं दो वर्ष की थी जब मेरी मां पैरिस चली गई थी। मैं पांच वर्ष की हो पाई थी कि एक दुर्घटना में मेरे पिता का देहान्त हो गया। फिर मेरे बाबा ने ही मेरा पालन-पोषण किया। वे धनी और स्वन्तन्त्र व्यक्ति हैं, अपने फार्म पर रहते हैं। मेरे प्रति उनका प्रगाढ़ स्नेह है।

‘‘डॉक्टर साहनी मेरे बाबा के चिकित्सक हैं। वे तथा उनकी पत्नी और लड़की कई बार बाबा के फार्म पर आ चुकी हैं। हम दोनों परस्पर बहुत स्नेह रखती हैं। मिशिगन में मैं उनके घर पर ही ठहरा करती हूं। यहां मैं इस हवाई सर्विस में एयर होस्टैस के रूप में कार्य करती हूं।’’

‘‘यह है मेरी सहेली डौली फ्रिट्ज। तीन-चार वर्ष की अवधि में ही यहां पाचवां विवाह करने जा रही है। यहां मेरे साथ ही कार्य करती है।’’

‘‘और यह है सारा सर्वाटोव। यह यहां के रैस्टोरां में कार्य करती है।’’

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