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कहानी संग्रह >> प्रेम पीयूष ( कहानी-संग्रह )

प्रेम पीयूष ( कहानी-संग्रह )

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :225
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8584

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नव जीवन पत्रिका में छपने के लिए लिखी गई कहानियाँ


कैलास ने कहा–मेरे विचार में पाप सदैव पाप है, चाहे वह किसी आवरण में मंडित हो।

नईम–और मेरा विचार है कि अगर गुनाह से किसी की जान बचती हो, तो वह ऐन सवाब है। कुँवर साहब अभी नौजवान आदमी है। बहुत ही होनहार, बुद्विमान, उदार और सहृदय है। आप उनसे मिलें तो खुश हो जाएँ। उनका स्वभाव अत्यंत विनम्र है। मैंनेजर जो यथार्थ में दुष्ट प्रकृति का मनुष्य था, बरबस कुँवर साहब को दिक़ किया करता था। यहाँ तक की एक मोटरकार के लिए उसने रुपये न स्वीकार किए, न सिफारिश की। मैं यह नहीं कहता कि कुँवर साहब की यह कार्य स्तुत्य है, लेकिन बहस यह है कि उनको अपराधी सिद्ध करके उन्हें कालेपानी की हवा खिलाई जाए, या निरपराध सिद्ध करके उनकी प्राण रक्षा की जाए। और भाई, तुमसे तो कोई परदा नहीं है, पूरे २॰ हजार की थैली है। बस मुझे अपनी रिपोर्ट में यह लिख देना होगा कि व्यक्तिगत वैमनस्य के कारण यह दुर्घटना हुई है। राजा साहब का इससे सम्पर्क नहीं। जो शहादतें मिल सकीं, उन्हें मैंने गायब कर दिया। मुझे इस कार्य के लिए नियुक्त करने में अधिकारियों की एक मसलहत थी। कुँवर साहब हिन्दू हैं, इसलिए किसी हिन्दू कर्मचारी को नियुक्त न करके जिलाघीश ने यह भार मेरे सिर रखा। यह साम्प्रदायिक विरोध मुझे निस्पृह सिद्ध करने के लिए काफी है। मैंने दो-चार अवसरों पर कुछ तो हुक्काम की प्रेरणा से और कुछ स्वेच्छा से मुसलमानों के साथ पक्षपात किया, जिससे यह मशहूर हो गया है कि मैं हिन्दूओं का कट्टर दुश्मन हूँ। हिंदू लोग तो मुझे पक्षपात का पुतला समझते हैं। यह भ्रम मुझे आक्षेपों से बचाने के लिए काफी है। बताओ, हूँ तकदीरवर कि नहीं?

कैलास–अगर यही बात खुल गई तो?

नईम–तो यह मेरी समझ का फेर, मेरे अनुसंधान का दोष, मानव प्रकृति के एक अटल नियम का उज्ज्वल उदाहरण होगा! मैं कोई सर्वज्ञ तो हूँ नहीं। मेरी नीयत पर आँच न आने पाएगी। मुझ पर रिश्वत लेने का संदेह न हो सकेगा। आप इसके व्यावहारिक कोण पर न जाइए, केवल इसके नैतिक कोण पर निगाह रखिए। यह कार्य नीति के अनुकूल है या नहीं? आध्यात्मिक सिद्धांतों को न खींच लाइएगा, केवल नीति के सिद्धांतों से इसकी विवेचना कीजिए।

कैलास–इसका एक अनिवार्य फल यह होगा कि दूसरे रईसों को भी ऐसे दुष्कृत्यों की उत्तेजना मिलेगी। धन से बड़े-से-बड़े पापों पर परदा पड़ सकता है,

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