लोगों की राय

कहानी संग्रह >> प्रेम प्रसून ( कहानी-संग्रह )

प्रेम प्रसून ( कहानी-संग्रह )

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :286
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8588

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

93 पाठक हैं

इन कहानियों में आदर्श को यथार्थ से मिलाने की चेष्टा की गई है


दयाशंकर–बस, एक मिनट और। उपस्थित हुआ।

सेवती–चटनी और पानी लेते जाओ, और पूरियाँ बाजार से मँगवा लो। उसके सिवा इस समय हो ही क्या सकता है?

दयाशंकर–(मरदाने कमरे में आकर) पानी लाया हूँ, प्यालियों में चटनी है, आप लोग जब तक भोग लगाएँ। मैं अभी आता हूँ।

आनंदमोहन–धन्य है ईश्वर! भला तुम बाहर तो निकले। मैंने समझा था कि एकांत-वास करने लगे, मगर निकले भी तो चटनियाँ लेकर। वे स्वादिष्ट वस्तुएँ क्या हुईं जिसका आपने वादा किया था, और जिनका स्मरण मैं प्रेमानुरक्त भाव से कर रहा हूँ।

दयाशंकर–ज्योतिस्वरूप कहाँ गये?

आनंदमोहन–उर्ध्व संसार का भ्रमण कर रहे हैं। बड़ा ही अद्भुत्, उदासीन मनुष्य है कि आते-ही-आते सो गया और अभी तक नहीं चौंका।

दयाशंकर–मेरे यहाँ एक दुर्घटना हो गई और क्या कहूँ? सब सामान मौजूद, और चूल्हे में आग न जली।

आनंदमोहन–खूब! यह एक ही रही। लकड़ियाँ न रही होंगी?

दयाशंकर–घर में तो लकड़ियों का पहाड़ लगा है। अभी थोड़े ही दिन हुए गाँव से एक गाड़ी लकड़ी आ गई थी। दियासलाई न थी।

आनंदमोहन–(अट्टाहास कर) वाह! यह अच्छा प्रहसन हुआ। थोड़ी-सी भूल ने सारा स्वप्न ही नष्ट कर दिया। कम-से-कम मेरी तो बधिया बैठ गई।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book