लोगों की राय

सदाबहार >> वरदान (उपन्यास)

वरदान (उपन्यास)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :259
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8670

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

24 पाठक हैं

‘वरदान’ दो प्रेमियों की कथा है। ऐसे दो प्रेमी जो बचपन में साथ-साथ खेले...


चन्द्रकुंवरि– उनके सारे जीवन की अभिलाषाओं पर ओस पड़ गयी। उदास क्यों न होंगी?

रुक्मिणी– उन्होंने तो देवीजी से यही वरदान मांगा था।

चन्द्रकुंवरि– तो क्या जाति की सेवा गृहस्थ बनकर नहीं हो सकती?

रुक्मिणी– जाति ही क्या, कोई भी सेवा गृहस्थ बनकर नहीं हो सकती। गृहस्थ केवल अपने बाल-बच्चों की सेवा कर सकता है।

चन्द्रकुंवरि– करने वाले सब कुछ कर सकते हैं, न करने वालों के लिए सौ बहाने हैं।

एक मास और बीता। विरजन की नई कविता स्वागत का सन्देशा लेकर बालाजी के पास पहुंची परन्तु यह न प्रकट हुआ कि उन्होंने निमंत्रण स्वीकार किया या नहीं। काशीवासी प्रतीक्षा करते-करते थक गये। बालाजी प्रतिदिन दक्षिण की ओर बढ़ते चले जाते थे। निदान लोग निराश हो गए और सबसे अधिक निराशा विरजन को हुई।

एक दिन जब किसी को ध्यान भी न था कि बालाजी आयेंगे, प्राणनाथ ने आकर कहा– बहिन! लो प्रसन्न हो जाओ, आज बालाजी आ रहे हैं।

विरजन कुछ लिख रही थी, हाथों से लेखनी छूट पड़ी। माधवी उठकर द्वार की ओर लपकी। प्राणनाथ ने हंसकर कहा– क्या अभी आ थोड़े ही गए हैं कि इतनी उद्विग्न हुई जाती हो!

माधवी– कब आएंगे इधर से ही होकर जायेंगे न?

प्राणनाथ– यह तो नहीं ज्ञात है कि किधर से आएंगे- उन्हें आडम्बर और धूमधाम से बड़ी घृणा है। इसलिए पहले से आने की तिथि नहीं नियत की। राजा साहब के पास आज प्रातःकाल एक मनुष्य ने आकर सूचना दी कि बालाजी आ रहे हैं और कहा है कि मेरी आगवानी के लिए धूमधाम न हो, किन्तु यहां के लोग कब मानते हैं? अगवानी होगी, समारोह के साथ सवारी निकलेगी, और ऐसी कि इस नगर के इतिहास में स्मरणीय हो। चारों ओर आदमी छूटे हुए हैं। ज्यों ही उन्हें आते देखेंगे, लोग प्रत्येक मुहल्ले में टेलीफोन द्वारा सूचना दे देंगे। कॉलेज और स्कूलों के विद्यार्थी वर्दियां पहने और झण्डियां लिए इन्तजार में खडे हैं घर-घर पुष्प-वर्षा की तैयारियां हो रही हैं बाजार में दुकानें सजायी जा रही हैं। नगर में एक धूम सी मची हुई है।

माधवी– इधर से जाएंगे तो हम रोक लेंगी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book