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अमेरिकी यायावर

योगेश कुमार दानी

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :150
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9435

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उत्तर पूर्वी अमेरिका और कैनेडा की रोमांचक सड़क यात्रा की मनोहर कहानी


उसने फीकी सी मुस्कान मुझे दिखाई और हम चुपचाप बैठे रहे। फ्रेडरिक्सबर्ग पहुँचते-पहुँचते मुझे विचार आया कि हम लोग कम-से-कम इस समय यह सोच सकते हैं कि हमें वाशिंगटन में किन-किन स्थानों पर जाना है। होटल का कमरा तो तीन बजे के बाद ही मिलेगा। इसलिए इससे पहले होटल पहुँचने का कोई मतलब नहीं था। चूँकि अधिकतर म्यूजियम शाम के पाँच बजे बंद हो जाते थे, अतः हमने निश्चय किया कि आज आस-पास की उन सभी जगहों को देखा जाये जिन्हें केवल बाहर से ही देखना है।
हमें व्हाइट हाउस तक पहुँचते-पहुँचते लगभग साढ़े बारह बज गया। थोड़ी देर तक इधर-उधर घूमने के बाद व्हाइट हाउस के दक्षिण पश्चिम की ओर एक गली में हमें अपनी कार के लिए खाली पार्किंग की जगह मिल गई।
कार पार्क करने के बाद हम लोग व्हाइट हाउस के सामने दक्षिणी मैदान और दक्षिणी दरवाजे के सामने पहुँचे। सैलानियों और दर्शकों को व्हाइट हाउस देखने की सुविधा केवल इस दिशा से ही उपलब्ध है। व्हाइट हाउस अर्थात् सफेद मकान। अमेरिका के राष्ट्रपति के रहने और काम करने का यह भवन प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन की स्मृति में बनाया गया था। अमेरिका और ब्रिटेन के बीच हुये युद्ध में कई सैनिक टुकड़ियों का नेतृत्व करने वाले जॉर्ज वाशिंगटन अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति चुने गये थे। वाशिंगटन जमीन खरीदने के बड़े शौकीन थे। यहाँ तक कि अपने जीवन काल में उन्होंने लगभग 500 एकड़ जमीन खरीद डाली थी। आज के डिस्ट्रिक्ट आफ कोलंबिया की शुरुआत जॉर्ज वाशिंगटन के द्वारा खरीदी गई भूमि पर ही हुई थी। जॉर्ज वाशिंगटन ने इस घर को बनवाने की शुरुआत 1792 में की थी, परंतु इसमें रहने वाले पहले राष्ट्रपति जॉन एडम्स थे।
वर्षों तक व्हाइट हाउस में दर्शकों को अंदर आकर कुछ हिस्से देखने की अनुमति होती थी। परंतु जब से आतंकवाद बढ़ा है धीरे-धीरे व्हाइट हाउस में साधारण व्यक्ति का अंदर जाना कठिन हो गया है। अब इसके लिए पहले से ही अपना नंबर लगाना होता है, आजकल वह प्रक्रिया पहले की तरह साधारण न रहकर काफी कठिन हो गई थी, इसलिए हमने तो इस बारे में तो सोचना भी उचित नहीं समझा था। यों भी व्हाइट हाउस को अंदर जाकर देखने में मेरी कोई विशेष दिलचस्पी थी नहीं। लोग अपने घर में किस तरह रहते हैं, कहाँ सोते हैं, कहाँ पढ़ते हैं, कहाँ अपने अतिथियों से मिलते हैं, इस तरह की जानकारी में मेरी विशेष दिलचस्पी कभी नहीं रही। चाहे वे प्रसिद्ध व्यक्ति ही क्यों न हों। मेरी एन ने भी इस बारे में कुछ खास नहीं कहा, इसलिए हम बाहर के दरवाजे पर थोड़ी देर खड़े रहकर दूर से ही देखते रहे। दूर से देखने पर इस भव्य और विशालकाय भवन की गरिमा का अनुभव तो हो ही जाता है। थोड़ी देर तक देखने के बाद मुझे धीरे-धीरे समझ में आने लगा कि छत और कुछ छज्जों में जो पक्षी बैठे दिख रहे हैं वे पक्षी न होकर असल में बड़े आकार के कैमरे और विभिन्न प्रकार के सुरक्षायंत्र आदि हैं।
इधर-उधर घूमते हुए अपने-अपने सेल फोनों से हमने फोटो ली और उसके सामने खड़े वाशिंगटन मान्यूमेंट की और चल पड़े। वाशिंगटन स्मारक देश के शहीदों की स्मृति में बनाया गया स्मारक है। कुछ देर तक अमेरिक के लिए शहीद हुए लोगों के नाम पढ़ने के बाद हमारा ध्यान भटकने लगा इसलिए वहाँ से निकल कर हम वहीं पास में बने जेफरसन मेमोरियल और लिंकन मेमोरियलों को देखने गये। 

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लोगों की राय

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सड़क यात्रा में प्रेम - फूस और चिंगारी

Anshu  Raj

Interesting book

Sanjay Singh

america ke baare mein achchi jankari

Nupur Masih

Nice road trip in America

Narayan Singh

how much scholarship in American University

Anju Yadav

मनोरंजक कहानी। पढ़ने में मजा आया

MANOJ ANDERIYA

Is it easy make girl friends in America

Abhishek Sharma

where i get full story of this book

Shivam  Soni

मस्त कहानी

SUNIL PANDEY

where to find full book

Sanjay Nagpal

Very good romantic novel

Gd Mehra

Thank you giving this book for free