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अंतस का संगीत

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9545

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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ


खुसरो, मीरा, जायसी, तुलसी, सूर, कबीर।
इस युग में मिलते नहीं, ऐसे संत-फ़क़ीर।।141

सूफी-संत चले गये, सब जंगल की ओर।
मंदिर-मस्जिद में मिले, रंगबिरंगे चोर।।142

तुम्हें मुबारक हों महल, तुम्हें मुबारक ताज।
हम फकीर हें 'क़म्बरी', करें दिलों पर राज।।143

चाहे जितना 'क़म्बरी', होते रहो प्रसिद्ध।
घर का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्ध।।144

प्राण-प्रतिष्ठा के बिना, फूल चढ़े या हार।
प्रतिमायें करती नहीं, पूजन को स्वीकार।।145

भक्तजनों का 'कम्बरी' कैसे हो उद्धार।
मंदिर-मंदिर हो रहा, पूजन का व्यापार।।146

धर्मों वाली रोटियाँ, व्यर्थ रहे हैं सेंक।
जब सबको मालूम है, सत्य धर्म है एक।।147

मायावी संसार की, माया अपरम्पार।
अपनी ही तस्वीर पर, डाल रहे हैं हार।।148

पाप-पुण्य यूँ 'कम्बरी' अलग-अलग हैं रंग।
पापहु सबके संग है, पुण्यहु सबके संग।।149

सत्य-कर्म तो कीजिये, हो जायेगा नाम।
वंश-गोत्र से आपका, नहीं चलेगा काम।।150

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