धर्म एवं दर्शन >> भज गोविन्दम् भज गोविन्दम्आदि शंकराचार्य
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ब्रह्म साधना के साधकों के लिए प्रवेशिका
सत्संगत्वे निस्संगत्वं,
निस्संगत्वे निर्मोहत्वं।
निर्मोहत्वे निश्चलतत्त्वं,
निश्चलतत्त्वे जीवन्मुक्तिः ॥९॥
(भज गोविन्दं भज गोविन्दं,...)
सत्संगति से अनासक्ति की प्राप्ति होती है, अनासक्त भावना से माया छूटती है, और जब माया छूटती है तब वास्तविक नित्य तत्व का अनुभव होता है, जिस अनुभव से मुक्ति (जन्म और मरण से छुटकारा) की प्राप्ति हो सकती है॥९॥
(गोविन्द को भजो, गोविन्द को भजो,.....)
satsangatve nissngatvam
nissangatve nirmohatvam
nirmohatve nishchalatattvam
nishcalatattve jiivanmuktih ॥9॥
Association with saints brings non-attachment, non-attachment leads to right knowledge, right knowledge leads us to permanent awareness,to which liberation follows. ॥9॥
(Chant Govinda, Worship Govinda…..)
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