धर्म एवं दर्शन >> भज गोविन्दम् भज गोविन्दम्आदि शंकराचार्य
|
10 पाठकों को प्रिय 110 पाठक हैं |
ब्रह्म साधना के साधकों के लिए प्रवेशिका
वयसि गते कः कामविकारः,
शुष्के नीरे कः कासारः।
क्षीणे वित्ते कः परिवारो,
ज्ञाते तत्त्वे कः संसारः ॥10॥
(भज गोविन्दं भज गोविन्दं,...)
आयु (युवावस्था) बीत जाने के बाद काम-विकार कहाँ है? पानी सूख जाने पर तालाब कहाँ है? धन की कमी हो जाने पर अनुचर वर्ग और परिवार कहाँ है? तत्व का ज्ञान हो जाने पर संसार कहाँ है?॥10॥
(गोविन्द को भजो, गोविन्द को भजो,.....)
vayasigate kah kaamavikaarah
shushhke niire kah kaasaarah
kshiinevitte kah parivaarah
gyaate tattve kah samsaarah ॥10॥
As lust without youth, lake without water, the relatives without wealth are meaningless, similarly this world ceases to exist, when the Truth is revealed? ॥10॥
(Chant Govinda, Worship Govinda…..)
|