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धर्म एवं दर्शन >> भज गोविन्दम्

भज गोविन्दम्

आदि शंकराचार्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :37
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9557

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ब्रह्म साधना के साधकों के लिए प्रवेशिका


मा कुरु धनजनयौवनगर्वं,
हरति निमेषात्कालः सर्वं।
मायामयमिदमखिलम् बुध्वा,
ब्रह्मपदम् त्वं प्रविश विदित्वा ॥11॥

(भज गोविन्दं भज गोविन्दं,...)

अपने धन पर या इशारों पर चलने वाले जनों पर या अपनी युवावस्था पर घमण्ड मत करो। काल (समय) इन सबको एक क्षण में नष्ट कर देगा। ये सब मायावी है ऐसा जानकर, इनका त्याग करो और ब्रह्म की स्थिति का ज्ञान प्राप्त कर उसमें प्रवेश करो।॥11॥
(गोविन्द को भजो, गोविन्द को भजो,.....)

maa kuru dhana jana yauvana garvam
harati nimeshhaatkaalah sarvam
maayaamayamidamakhilaM hitvaa
brahmapadaM tvaM pravisha viditvaa  ॥11॥

Do not boast of wealth, friends (power), and youth, these can be taken away in a flash by Time . Knowing this whole world to be under the illusion of Maya, you try to attain the Absolute. ॥11॥
(Chant Govinda, Worship Govinda…..)

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