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कविता संग्रह >> कह देना

कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580

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२३

दो किनारों का मिलना भी दुश्वार है


दो किनारों का मिलना भी दुश्वार है
ये नदी है के पानी की दीवार है

प्यास सहरा की आख़िर बुझे किस तरह
दो किनारों में दरिया गिरफ़्तार है

बिजलियाँ बेसबब यार गिरती नहीं
इस चमन में कोई तो गुनहगार है

हमको मन चाही सूरत दिखाता रहा
आईना भी हमारा वफ़ादार है

हाथ कटने का मुझको कोई ग़म नहीं
लोग ये तो कहेंगे के फ़नकार है

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