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कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580

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३९

होना मुक़ाबला है नज़र का


होना मुक़ाबला है नज़र का नज़र के साथ
बाज़ी लगी हुई है मेरी चश्मेतर के साथ

करिये न हमसे बात अगर और मगर के साथ
सच्चाइयों को देखिये दिल में उतर के साथ

तन्हा सफ़र में इसलिये हम ऊबते नहीं
करते हैं मुझसे बात क़दम रहगुज़र के साथ

शायद इसीलिए कोई आया नहीं जवाब
गुम हो गया है ख़त भी मेरा नामाबर के साथ

सजदा ख़ुदा का इसलिये करता है आदमी
जन्नत की आरज़ू है जहन्नम के डर के साथ

अपना मुजाज़ और है, मिसरे का रंग और
कुछ शेर कह सका हूँ बहुत दर्देसर के साथ

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