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कविता संग्रह >> कह देना

कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580

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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें


४०

शायर हूँ कोई ताज़ा ग़ज़ल सोच रहा हूँ


शायर हूँ कोई ताज़ा ग़ज़ल सोच रहा हूँ
फुटपाथ पे बैठा हूँ महल सोच रहा हूँ

गुज़रे जो तेरे साथ वो पल सोच रहा हूँ
ये वक़्त भी जायेगा निकल सोच रहा हूँ

क्या होगा मेरे देश का कल सोच रहा हूँ
उलझा है जिस सवाल का हल सोच रहा हूँ

मस्जिद में पुजारी हो तो मंदिर में नमाज़ी
हो किस तरह ये फेर-बदल सोच रहा हूँ

ये वक़्त तो मुश्किल से मेरे हाथ लगा है
ये हाथ से जाये न फिसल सोच रहा हूँ

उस फूल से बदन को कहूँ क्या मैं बताओ
जूही, गुलाब, बेला, कमल सोच रहा हूँ

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