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कविता संग्रह >> कह देना

कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580

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५२

आख़री दौर में हैं जीवन के


आख़री दौर में हैं जीवन के
मीत अब तक नहीं मिले मन के

ख़ुद को पहचानना हुआ मुश्किल
सामने आ गये जो दर्पन के

नाँचने की कला नहीं आती
दोष बतला रहे हैं आँगन के

आप पत्थर के हो गये जबसे
थाल सजने लगे हैं पूजन के

‘क़म्बरी’ मन के दीप से अब भी
रौशनी आ रही है छन-छन के

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