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कविता संग्रह >> कह देना

कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580

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५३

हमारे घर में पत्थर आ रहे हैं


हमारे घर में पत्थर आ रहे हैं
न जाने आप क्यूँ घबरा रहे हैं

नहीं इतनी कठिन राहें हमारी
हमे ये राहबर बहका रहे हैं

यहाँ पत्थर की पूजा हो रही है
मगर इंसान ठोकर खा रहे हैं

ये दुनिया नासमझ समझी थी जिनको
वही दुनिया को अब समझा रहे हैं

बताओ वो भला कैसे उठेंगे
नज़र से जो गिराये जा रहे हैं

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