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कविता संग्रह >> कह देना

कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580

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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें


५४

जाने कैसे हमारा मकाँ जल गया


जाने कैसे हमारा मकाँ जल गया
हम तो निकले थे घर से बुझा के दिया

ख़ुद की आवाज़ भी कोई सुनता नहीं
इस शहर में किसी से कहें भी तो क्या

हमने अपना गरेबान देखा नहीं
इसका दामन सिया, उसका दामन सिया

थी सभी में शराब, एक में था ज़हर
जाम हमने ख़ुशी से वही पी लिया

कोई भेजे तभी तो मिले ख़त मुझे
क्या करे ‘क़म्बरी’, क्या करे डाकिया

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