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कविता संग्रह >> कह देना

कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580

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५६

सामने आँधियों के जलायेंगे हम


सामने आँधियों के जलायेंगे हम
अब चराग़ों को यूँ आज़मायेंगे हम

कम से कम एक तिनका ही दे दीजिये
देर मत कीजिये डूब जायेंगे हम

सिर्फ़ चेहरे नहीं हैं किताबें हैं ये
अपने चेहरों को कैसे छिपायेंगे हम

फूल खिलने से पहले ही मुरझा गये
अब किसे देखकर मुस्कुरायेंगे हम

हमको मंजिल मिलेगी तभी ‘क़म्बरी’
अपनी राहें अगर ख़ुद बनायेंगे हम

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