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कविता संग्रह >> कह देना

कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580

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५७

मिल गया हमको सब कुछ ये मशहूर है


मिल गया हमको सब कुछ ये मशहूर है
सच तो ये है कि मंजिल बहुत दूर है

कोई मजबूर है, कोई मग़रुर है
जाने कैसा ज़माने का दस्तूर है

आईना देखकर मैं ये समझा नहीं
कितना मैं चूर हूँ, कितना वो चूर है

जितना मुझको है ग़म, उतनी उसको ख़ुशी
मैं हूँ मजबूर, क्या वो भी मजबूर है

‘क़म्बरी’ ने ख़ता तो नहीं की मगर
हर सज़ा आपकी फिर भी मंज़ूर है

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