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उपन्यास >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


अब कमल इंकार न कर सका। अंजना ने बच्चे को रमिया की गोद में दे दिया। वह उसे कमरे में रखे हुए खिलौनों से बहलाने के लिए ले गई। अंजना प्यालों में चाय उंडेलने लगी तथा मां और कमल बुत बने उसकी ओर देखने लगे।

अंजना ने एक प्याला मां को और दूसरा कमल को दिया। मां ने रमिया से बाबूजी के लिए एक कप बनाने को कहा।

अंजना बोली-''मैं जा रही हूं।''

अंजना ने अपने लिए बनाया हुआ प्याला उठाया और बाहर चली गई।

उसकी तत्परता देख मां ने प्यार से कमल की ओर देखा। वह बोला-''कितने बदकिस्मत थे आप लोग जिन्होंने ऐसी बहू को ठुकरा दिया था।

''ऐसा न कहो बेटा! हमें बहुत बड़ी सजा मिल चुकी है इसकी।''

कमल ने मां का दर्द समझा और चुप हो गया।

मां फिर बोली-''शायद भगवान ने हमारी सुन ली है जो हमारे बुढ़ापे का सहारा भेज दिया है।''

इधर अंजना चाय का प्याला लिए हुए बाबूजी के पास जा पहुंची।

वे उसे देखते ही बोले-''तुमने क्यों कष्ट किया बेटी?''

''यह तो मेरा धर्म है बाबूजी! आप क्या जानें, मैं कब से इस अवसर के लिए तड़प रही थी!''

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