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उपन्यास >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


कमल की निराश निगाहों में अचानक चमक आ गई। वह तेजी से उसकी ओर बढ़ा और उसे अपने साथ क्लब के लान की ओर ले आया जहां मेहमानों का ठठ लगा हुआ था। कमल ने पूनम का परिचय अपने अफसरों और अन्य साथियों से कराया। जब लोगों को पता चला कि वह लाला जगन्नाथ की बहू है जो पिछले साल ही विधवा हो गई थी, तो उनका कलेजा मुंह को आ गया। हरेक को उसकी भरपूर जवानी की अवस्था पर दया आ गई, जो जवान उमंगों के साम्राज्य पर राज्य करने से पहले ही लुट चुकी थी।

उसके चेहरे की लाली, आंखों में सितारों की सी चमक और ललाट का उठान देखकर किसीको विश्वास ही नहीं होता था कि वह विधवा है। फिर भी लोग सहानुभूति जताने के लिए बढ़े। मर्द इसलिए कि वह यौवन का एक तूफान थी और औरतें इसलिए कि उसपर भरी जवानी में वज्र गिरा था।

थोड़ी देर में ही वह उन सबके दिल में समा गई। लोगों के प्रश्नों से और उनके अनोखी पहेलियां बूझते-बूझते कमल का दम घुटने लगा। तभी उसने लोगों का ध्यान बदलने के लिए केक काटने की रस्म का एलान कर दिया। सब लोग उस मेज के पास जमा हो गए जिसपर केक रखा हुआ था।

कमल ने बढ़कर अंजना को पास बुलाया और केक काटने की रस्म पूरी करने लगा। केक कटते ही वातावरण तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। अंजना ने लोगों की ओर कनखियों से देखा जैसे कमल की इस खुशी में वह बराबर की सहयोगी थी।

लोग खाने-पीने में व्यस्त हो गए और कमल उनकी आवभगत में। क्लब के बैंड ने फिर पाश्चात्य धुन बजानी शुरू कर दी जिससे वातावरण में मधुरता भर गई। हर आदमी मस्ती में झूमने लगा।

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