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उपन्यास >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''यह क्या?''

''एक छोटी-सी भेंट! आपके जन्मदिन पर!''

''लेकिन इसकी क्या जरूरत थी?''

''सबके सामने देने का साहस नहीं हुआ। मूल्यवान वस्तुओं में यह साधारण-सी वस्तु शायद शोभा नहीं देती।''

''नहीं पूनम! सच्चे दिल से दी हुई कोई मामूली-सी चीज भी कोहनूर हीरे से कम नहीं होती और फिर यह तो मूल्यवान भेंट है।''

''अगर आप इसे स्वीकार करें तो।''

कमल ने उसे जेब में रख लिया और कृतज्ञ दृष्टि से उसकी ओर देखते हुए बोला-''मेरे लिए यह अनमोल भेंट है पूनम! जब भी मैं इसे अपने हाथों में लगाऊंगा तुम्हारी भोली सूरत मेरे सामने आ जाएगी।''

मेहमानों में एक शोर उठा और कुछ लोग कमल की ओर बढ़े। उन्होंने सब मेहमानों की ओर से महफिल को रंगीन बनाने के लिए एक गाने का निवेदन किया। वे उसे खींचकर ले जा रहे थे कि अंजना ने पूछ लिया-''आप गाते भी हैं?''

'सिर्फ गाते ही नहीं, खूब गाते हैं।'' उनमें से एक ने कहा और कमल को खींचता हुआ सबके बीच में ले गया।

कमल को विवश होकर गीत गाना पड़ा। उसका मधुर स्वर अंजना ने पहली बार सुना था। उसने तो कभी सोचा भी नहीं था कि कमल बाबू इतना अच्छा गाते भी हैं।

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