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उपन्यास >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।

10


पालीटन होटल के बाहरी चबूतरे पर अंजना और कमल एक कोने में बैठे बड़ी बेचैनी से उस लड़की की प्रतीक्षा कर रहे थे जो ठीक पांच बजे वहां आने वाली थी।

दोनों चुपचाप बैठे कॉफी पी रहे थे और कभी-कभी एक-दूसरे की ओर कनखियों से देख लेते थे। होटल के बड़े हाल में से पाश्चात्य संगीत की धुन लगातार उनके कानों में गूंज रही थी।

''वे लोग अभी तक नहीं आए!'' कमल ने उकताकर कहा।

''इतने अधीर क्यों हो? दस-पांच मिनट की देर हो ही जाती है लड़कियों को बनते-संवरते!'' अंजना ने दबी मुस्कराहट से कहा।

कमल उसकी बात सुनकर झेंप गया और फिर से कॉफी की चुस्कियां लेने लगा।

कुछ देर बाद अंजना बोली-''एक बात कहूं?''

''हूं!''

''आज फैसला हो ही जाना चाहिए।''

''वह क्यों?''

''कम से कम मुझे कोई साथी तो मिल जाएगा दिल की बात कहने के लिए।''

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