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उपन्यास >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


तभी किसी की निगाहों को अपनी ओर घूरते देखकर अंजना व्याकुल हो उठी। सामने की सीढ़ियों से उतरती हुई एक सुरबाला-सी सुन्दरी की ओर देखते ही वह बेसुध हो गई।

वह सुन्दरी उसे घूर-घूरकर देख रही थी जैसे वह उसे पहले से जानती हो। अंजना उसकी नजरों की ताब न ला सकी और अपनी घबराहट छिपाने के लिए उसने चाय का प्याला हाथ में उठा लिया, लेकिन इस घबराहट के मारे उसके हाथ कांप गए और चाय का प्याला छलक गया। छींटे उसकी साड़ी पर आ गिरे।

उसने उस घूरने वाली सुंदरी की ओर भयभीत दृष्टि से देखा जो अब हाल की ओर जा रही थी।

'कोई बात नहीं। बातों में ध्यान कहीं और चला गया होगा।'' मिसेज खन्ना ने अपने रूमाल से उसकी साड़ी का आंचल साफ करते हुए कहा।

''शायद आपका ध्यान उस लड़की के भड़कीले लिबास की ओर खिंच गया था।'' कमलेश ने उसकी नजरों की व्याकुलता से अनुमान लगाया और बताया कि वह लड़की इस होटल की कैबरे डांसर है।

''आई एम सॉरी।'' अंजना ने अपनी घबराहट छिपाते हुए कहा और अपनो कुर्सी से उठकर अपना आंचल साफ करने बाथरूम की ओर चली गई।

उसके वहां से जाते ही कमल ने जल्दी-जल्दी चाय पीना शुरू किया। फिर बोला-''यह सौभाग्य का संकेत है।''

"क्या?'' मिसेज खन्ना चौंक उठीं।

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