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उपन्यास >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''होगी। मैं क्या करूं?''

''यों ही कह दिया। आप जब सोएं तो खिड़कियां-दरवाजे सब बन्द कर लें।''

रमिया चली गई लेकिन उसकी कही हुई बात अंजू के दिमाग में बुरी तरह खटकने लगी। तूफान के भय से उसके दिल की धड़कन तेज हो गई। उसे लगा जैसे वह तूफान उस वादी में नहीं, उसकी अपनी जिन्दगी में आने वाला है।

हवा की सांय-सांय के साथ उसके मन की कुलबुलाहट क्षण-प्रतिक्षण बढती चली गई और फिर हवा के एक तेज झोंके ने खिड़की के पल्लों को एक-दूसरे से टकरा दिया। इसके साथ ही कोने में रखा हुआ पैडस्टल लैम्प फर्श पर गिरकर चकनाचूर हो गया।

एक अजीब-सा शोर हुआ और अंजना के मुंह से चीख निकल गई। बत्ती के बुझ जाने से कमरे में गहन अन्धकार छा गया।

अंजना ने भयभीत हो इधर-उधर देखने की कोशिश की। चारों ओर भयानक अंधेरा छा गया था। वह तूफान, जिसके बारे में रमिया ने भविष्यवाणी की थी, वीरान वादियों से होता हुआ बस्ती में आ पहुंचा था।

उसने एक नजर राजीव पर डाली जो इस तूफान से बेखबर गहरी नींद में सो रहा था। अंजना ने लपककर खिड़की के पल्ले बंद कर दिए।

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