लोगों की राय

उपन्यास >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

38 पाठक हैं

एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''घबराओ नहीं, ससुराल जाओगी तो अपने-आप मशीन बन जाओगी। मैके का राज है, दो-चार दिन आराम कर लो।''

''पूनम।''

''हूं।''

''तुमने तो अपने मैके में खूब आराम से दिन काटे होंगे?''

''नहीं, अपना तो नसीब उल्टा रहा। बचपन में ही मां-बाप चल बसे, मामूं ने पाला-पोसा, बेगानों की तरह और फिर जब जिंदगी के सपने पूरे होने लगे तो अपने प्रीतम को खो बैठी।''

यह कहते-कहते उसकी आंखों में आंसू आ गए। शालिनी ने उसके मन की व्याकुलता समझ ली और गंभीरता को मुस्कराहट में बदलते हुए पूछने लगी-''क्या ऐसा संभव नहीं पूनम कि जो सपने अधूरे रह गए हों वे अब पूरे कर लो?''

अंजना ने शालो की बात सुनी और फिर कुछ विचित्र दृष्टि से उसकी ओर देखने लगी। शालो के अधरों पर अब भी मुस्कान थिरक रही थी।

अंजना उसके दिल की बात समझ गई, फिर भी अनजान-सी बनकर बोली-''वह कैसे?''

''दूसरा ब्याह करके।''

अंजना को यह सुनकर अच्छा भी लगा और बुरा भी। बोली-''यह तुम ठीक कह रही हो शालो?''

''हां, एक लड़की ही दूसरी लड़की के दिल की गहराइयों को समझ सकती है।''

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book