लोगों की राय

उपन्यास >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

38 पाठक हैं

एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''लेकिन मेरे आंचल पर तो दाग है।''

''वह तो चांद में भी होता है।''

''लेकिन यह तुम भूल रही हो कि मैं शरीफ घराने की बहू भी हूं।''

''मगर मैं यह कैसे भूल जाऊं कि तुम एक लड़की भी हो-खूबसूरत और जवान जिसके मन में सैकड़ों इच्छाएं, आशाएं और उमंगें हैं!

''समाज वाले इसे पाप कहेंगे।''

''कहने दो, लेकिन औरत के दिल को समझने वाला कोई नहीं कहेगा।''

''लेकिन मैं यह कैसे भूल जाऊं कि मैं एक मां भी हूं?''

''दुनिया में कई नेकदिल ऐसे भी हैं जो तुम्हारे बच्चे को भी अपना लेंगे।''

''नहीं, यह इतना आसान नहीं है। कौन होगा जो अपने दिल पर इतना बड़ा पत्थर रख सकता है!''

''एक है।''

''कौन?''

''मेरा भइया, कमल!''

कमल का नाम सुनते ही वह कुछ ऐसी बदहवास हुई कि छुरी की तेज धार से उसकी उंगली कट गई।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book