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उपन्यास >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


शालिनी ने लपककर एक गिलास उठाया और उसकी उंगली पकड़कर बर्फीले पानी में डाल दी। अंजना अभी तक मौन थी। उसने शालिनी की बात का कोई उत्तर नहीं दिया था।

''जानती हो, कल रात भइया ने क्या कहा?'' शालिनी ने फिर बात छेड़ दी।

''क्या?'' अंजना ने अनजान-सी बनकर पूछा।

''बोले, अगर पूनम तुम्हारी भाभी बन जाए तो कैसा रहेगा?''

''तो फिर तुमने क्या कहा?''

''पहले तो मुझे कुछ अजीब-सा लगा, लेकिन जब मैंने भइया का दिल टटोला तो हां कह बैठी।''

''क्यों? उनके दिल में क्या छिपा था?''

''तुम्हारा प्यार।''

शालिनी के इस उत्तर पर वह छुईमुई बन गई और चुपचाप पानी में से उंगली निकालकर अपने काम में लग गई।

शालिनी भी मौन धारण किए उसका हाथ बंटाने लगी, लेकिन वह उसके दिल की धड़कनों को भली भांति समझ रही थी। उसकी बात पर अंजना नाराज होने के बजाय लजाकर रह गई थी।

इधर अंजना को शालिनी की बात ने विश्वास दिला दिया कि उसका पत्र पाने के बाद ही कमल ने अपनी बहन का दिल टटोला है।

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