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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


113. पुरूष प्रधान इस देश ने


पुरूष प्रधान इस देश ने
दिया है मुझको दर्जा बड़ा
मेरे लिये कानून बना दिये
जिनका ना लेती मैं फायदा।

मैं अपनी सीमा में रहकर
रहती हूँ तुम पर ही निर्भर

मैं पतिव्रता नारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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