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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


21. पढ़कर जब स्कूल से आती


पढ़कर जब स्कूल से आती
घर के काम में हाथ बँटाती
छुट्टी के दिन घर को सँघवाती
माँ मेरी तब खुश हो जाती

शाम को माँ के पैर दबाकर
फिर लगाती उसका बिस्तर

माँ को सुला फिर सो जाती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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