लोगों की राय

कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

268 पाठक हैं

मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


48. तभी माँ ने मुझे धंधेड़ा


तभी माँ ने मुझे धंधेड़ा
पैर के अँगूठे को मरोड़ा
काम पर जाना है मुझे
उठ बेटी अब वक्त है थोड़ा

अनायास ही जगाया था
मुझे पूरी तरह हिलाया था।

आँखें मलती मैं उठती हूँ,
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

¤ ¤

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book