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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


85. कहने लगा फिर वह बेटा मेरा


कहने लगा फिर वह बेटा मेरा
अब जो हुआ, पोता तेरा
करेंगे अब धर्म, कहो माँ
क्या यह वचन सही है मेरा

वर्षों बाद आज हे माता
सूनी गोद में फूल खिला

यह सुन मना कर जाती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।


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